(नवग्रह के पौधे एवं ग्रह शांति में उनके योगदान)
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को अपने अनुकूल बनाने के लिए ‘वनस्पति’ की विशेष भूमिका रही है। उसके अनुसार पेड़-पौधों लगाने और इनके हवन-पूजन से ग्रहों संबंधी कई समस्याएं दूर होती हैं।
सूय्र्यचन्द्रो मंगलश्च बुधश्चापि बृहस्पति:।
शुक्र: शनेश्चरो राहु: केतुश्चेति नव ग्रहा:।।
ऐसी मान्यता है कि इन ग्रहों की विभिन्न नक्षत्रों में स्थिति के अनुसार प्रत्येक मनुष्य पर इनके अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं,
ये प्रभाव अनुकूल और प्रतिकूल दोनों होते हैं। ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को शांत करने के लिए शास्त्रों में अनेक उपाय बताये गये हैं जिनमें एक उपाय ‘यज्ञ’ भी है।
यज्ञ द्वारा हर ग्रह शांति के लिए अलग अलग विशिष्ट वनस्पति की समिधा (हवन प्रकाष्ठ) प्रयोग की जाती है,
जैसा श्लोक में वर्णित है
“अर्क: पलाश: खदिरश्चापामार्गोऽथ पिप्पल:
औडम्बर: शमी दूव्र्वा कुशश्च समिध: क्रमात्”(गरुण पुराण)
अर्थात्
1-‘सूर्य ग्रह’ की शान्ति हेतू ‘अर्क (मदार)’ की समिधा का प्रयोग होता है मदार की लकड़ी में उसके पत्तों व गाय का घी मिलाकर हवन करने से रोग नाश होते है।
2- चंद्र के लिए
पलाश के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु व महेश का निवास माना जाता है। पलाश के सूखे हुए फूल देवी देवताओं को कार्तिक माह में चढ़ाने से ग्रह बाधा दूर हो जाती है।
इसके वृक्ष को घर से दक्षिण-पूर्व (southeast) दिशा में लगाना चाहिए।
3-मंगल ग्रह
मंगल ग्रह की प्रसन्नता हेतू मंगलवार को खैर के पेड़ की जड़ लेकर उसकी पूजा करके धन स्थान पर रख दें। जिससे उनके धन में वृधि होगी। ग्रह प्रसन्नता हेतु खैर की समिधा से हवन करें व अपने घर के पास में खैर का पेड़ लगाए ।
4- बुध के लिए
जिन राशियों का स्वामी बुद्ध है उन जातको को अपामार्ग की पूजा करनी चाहिए और घर से उत्तर (north) दिशा में इसका पौधा लगाना चाहिए, इससे ईष्ट देव प्रसन्न होते हैं।
5- गुरु के लिए
पीपल के पेड़ में प्रतिदिन जल देने व हवन करने से गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव नाश होते हैं और परिक्रमा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
इसके वृक्ष को घर के उत्तर-पूर्व (Northeast) दिशा में लगाना चाहिए ।
6- शुक्र के लिए
रविवार के दिन पुष्य नछत्र हो तब गुलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाये इसे धूप दीप के साथ पूजा करके स्वर्ण दीपवृक्ष (pedent) में धारण करें घर में संतान सुखउत्तम रहेगा एवं धन संपदा में लाभ होंगे।
घर से पूर्व (east) दिशा में इसका वृक्ष लगाए।
7- शनि के लिए
न्याय के देवता शनि को खुश करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें से एक, शमी के पेड़ की पूजा भी है
शनिदेव की टेढ़ी नजर से रक्षा करने के लिए शमी के पौधे को घर से पश्चिम (west) में लगाकर उसकी पूजा करनी चाहिए।शमी के वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है।
सभी यज्ञों में शमी वृक्ष की समिधाओं का प्रयोग शुभ माना गया है। शमी का ‘पंचांग’ शक्तियों के नाश के लिए होता है, यानी फूल, पत्ते, जड़े, टहनियां और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधीत दोषों से जल्द मुक्ति व दीर्घायु की प्राप्ति होती है। इसकी समिधा से हवन करने से पापों का शमन होता है।
8- राहु ग्रह के लिए
दूब की समिधा से जातक के द्वारा हवन करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है।व्यापार, घर व स्वास्थ में हानि से छूटकारा मिल जाता है।
इसका दक्षिण-पश्चिम (south west) दिशा में उगना शुभ माना जाता है।
9- केतु ग्रह के लिए
केतु ग्रह की शान्ति हेतु कुश की समिधा का प्रयोग किया जाता है। कुश की समिधा से जातक के द्वारा हवन करने से जातक को सम्पूर्ण कार्यों में सिद्धी की प्राप्ती होती है। कुश में त्रिदेव का वास होता है।
इसका घर से उत्तर-पश्चिम (north west) दिशा में होना शुभ होता है।
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