Wednesday, June 29, 2022

Finger Names in Sanskrit and various types of mudra

The Finger Names in ‘Sanskrit’ are, Thumb is called ‘Angushtha’, Pointing finger is called ‘Tarjani’, Middle finger is ‘Madhyama’, Ring finger is ‘Anamika’ and the Smallest finger is called ‘Kanishtika’.
Mudras are hand gestures used in yoga and meditation, which mean ‘mark’ or ‘seal’ in Sanskrit. In the Mudra philosophy, it is believed that our 5 fingers correspond to the 5 elements of the universe.
Thumb - Agni (fire)
Index finger- Vayu (Air) 
Middle finger- Akasha (Space), Ring finger - Prithvi (Earth), 
Little Finger -Jal(Water). 

Practitioners believe that when the finger representing a particular element is brought into contact with the thumb, that element is brought into balance, creating a stabilizing effect on the entire body. Mudras start electromagnetic currents in the body, create balance and promote health. Regular practice of these mudras can help create a balance between these five elements in the body.

Monday, June 27, 2022

What is Laghima Siddhi? Or absence of weight!

What is Laghima Siddhi? Or absence of weight!

Laghima Siddhi is said to be developed through certain techniques of Yoga, meditation especially Samyama meditation, combining Dharana, Dhyana, and Samadhi, focused on the Vishuddha Chakra and on certain other elemental.principles Pranayama, and other Sadhanas. Laghima Siddhi is described in the Puranas (the Devi Bhagavata Purana goes into especial detail Patanjali’s Yoga Sutras, and other ancient manuals of Yoga.
Laghima Siddhi is the spiritual ability to temporarily make one’s physical body so light that it can float in the air, almost weightless, as light as a cotton fiber as Patanjali puts it. When fully mastered, and coupled with control of the five elements, it is said to grant the power of self-directed flight. It does not actually change the body, but rather changes the relationship between the body and the outer laws of nature (in this case gravity). The flight that it grants is not aerodynamic flight involving lift and propulsion, but simply free movement through open and unimpeded space, ignoring gravity and having supernatural control of the air itself.

Sunday, June 26, 2022

राघवयादवीयम् सनातन धर्म में एक अति दुर्लभ ग्रंथ।

अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म में “राघवयादवीयम्" 🙏🏻

जिसे आप सीधा पढ़े तो ‘रामायण’ कथा और जब उन्ही श्लोक में लिखे शब्दों को उल्टी दिशा से पढ़े तो श्रीकृष्ण ‘भागवत’ कथा सुनाई देती 

यह अद्भुत क्षमता सिर्फ़ हमारी संस्कृत भाषा और सनातन धर्म में ही सम्भव है

जिसे दुनिया के आश्चर्यों में अवश्य ही शामिल किया जाना चाहिए।

जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि ‘वेंकटाध्वरि’ द्वारा रचित “राघवयादवीयम्" एक ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है। 

इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। इस पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं।
लेकिन यदि श्री कृष् णकथा के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो कुल 60 श्लोक बनते हैं

पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है,"राघव-यादवीयम।"

उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥

अर्थात : -
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।

विलोमम्: (विपरीत दिशा से पढ़ने पर)

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः 
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥

अर्थात :~

मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्तजवाहरातों की शोभा हर लेती है।

जवाहरातों की शोभा हर लेती है।

 "राघवयादवीयम" के सभी 60 श्लोकों (दोनो दिशाओं से अर्थ सहित ) को जानने के लिए कृपया इस link को follow करें

https://t.co/kOzL53IFtX https://t.co/lfs6ALqLPJ

What is a Mala? Why Does it have 108 Beads and the Guru or bindu bead?

What is a Mala and Why Does it have 108 Beads + the Guru or bindu bead!

This Question has hundreds of answers, lets find out some 🚩

A Mala is a string of beads used to count mantras (Sanskrit prayers) in sets of 108 repetitions as a form of meditation. 
In the yogic tradition the beads are used in japamala practice to recite mantras in meditation. A full cycle of 108 repetitions is counted on the mala so the practitioner can focus on the sounds, Vibration and Meaning of what is being said.
The 109th bead that hangs at the bottom of a mala is called either the sumeru, bindu, stupa or guru bead (which often symbolizes the guru from who the student received the mala or mantra, paying homage to the student-guru relationship) It is never counted among the repetitions but used as a marker for as a start and end for a cycle.

So why 108 repetitions? The number 108 has limitless meanings across various Astrological Philosophical, Scientific and religious beliefs.Some of the most interesting are:

Astrology. There are 12 constellations and 9 arc segments. There are 12 houses and 9 planets. 12 X 9 = 108

Sanskrit alphabet has 54 letters. Each letter has a masculine (Shiva) and feminine (Shakti) energy 54 X 2 = 108
Heart Chakra: The chakras are the intersections of energy lines, and there are said to be a total of 108 energy lines converging to form the heart chakra. One of them, sushumna leads to the crown chakra, and is said to be the path to Self-realizationSun and Earth: The diameter of the Sun is 108 times the diameter of the Earth.

The distance from the Sun to the Earth is 108 times the diameter of the Sun.

Moon and Earth: The average distance of the Moon from the Earth is 108 times the diameter of the Moon.
In Ayurveda, there are 108 "Marm" points that are vital
for giving life to living beings.

Powers of 1, 2, and 3 in math: 1 to 1st power=1; 2 to 
2nd power=4 (2x2); 3 to 
3rd power=27 (3x3x3). 1x4x27=108In Tantra, it is estimated that every day we breathe
21,600 times out of which 10,800 are solar energy and
10, 800 are lunar energy. Multiplying 108 X 100 is
10,800

The famous sage Bharat wrote "Natya Shastra"which has 108 karanas (108 poses of Tandav by movement of hand & feet) Harshad number: 108 is a Harshad no.which is an integer divisible by the sum of its digits (Harshad is from Sanskrit and means "great joy")

River Ganga: The sacred River Ganga spans a longitude of 12 degrees (79 to 91), & a latitude of 9 degrees (22 to 31). 12 times 9 equals 108Sri Yantra:

On the Sri Yantra there are marmas where three lines
intersect,& there are 54 such intersections.Each intersection has masculine and feminine, shiva and shakti qualities.

54 times 2= 108. Thus, there are
108 points that define the Sri Yantra as well as the human body 1, 0, and 8: Some say that 
1 stands for God or higher Truth, 
0 stands for emptiness or completeness in spiritual practice, and 8 stands for infinity or eternity.

Each zodiac sign has a total of 9 padas. There are 12 zodiac signs. So, 12*9 = 108 padas.Pranayama: If one is able to be so calm in meditation as to have only 108 breaths in a day, enlightenment will come

Still You will find many reasons behind it, hence 108 signifies the wholeness of the divinity, perfect totality. So, let us follow what our ancestors told us to do.

Monday, June 20, 2022

अगरबत्ती या धूप-दीप

क्यूँ हमारे धार्मिक ग्रंथों में पूजन विधि में कहीं भी ‘अगरबत्ती’ का उल्लेख नहीं मिलता?

हम अक्सर शुभ अवसर जैसे हवन, पूजा-पाठ और अशुभ दाह संस्कार आदि कामों के लिए विभिन्न प्रकार की लकड़ियों को जलाने में प्रयोग करते है, लेकिन क्या आपने कभी किसी काम के दौरान बांस (bamboo) की लकड़ी जलती देखी है? नहीं ना!

भारतीय संस्कृति,परंपरा और धार्मिक महत्व के अनुसार, हमारे शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित माना गया है।यहाँ तक की हम ‘अर्थी’ के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग तो करते है, लेकिन उसे चिता में जलाते नहीं शास्त्र के अनुसार बांस जलाने से पितृ दोष
लगता है वहीं जन्म के समय जो नाल माता और शिशु को जोड़ के रखती है, उसे भी बांस के वृक्षो के बीच मे गाड़ते है ताकि वंश सदैव बढ़ता रहे

क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है?

बांस में लेड (lead) व हेवी मेटल (heavy metals) प्रचुर मात्रा में पाई जाती है लेड जलने पर लेड ऑक्साइड (lead oxide)बनाता है जो कि एक खतरनाक नीरो टॉक्सिक (neurotoxic) है और brain damage का एक कारण भी होता है
heavy metal भी जलने पर oxides बनाते हैं 

लेकिन जिस बांस की लकड़ी को जलाना शास्त्रों में वर्जित है।यहाँ तक कि चिता में भी नही जला सकते,उस बांस की लकड़ी को हमलोग रोज़ अगरबत्ती में जलाते हैं
अगरबत्ती के जलने से उतपन्न हुई सुगन्ध के प्रसार के लिए Phthalates नाम के विशिष्ट chemical का प्रयोग किया जाता है। यह एक phthalate acid ester (फेथलिक एसिड ईस्टर) होता है जो कि श्वांस के साथ शरीर में प्रवेश करता है,इस प्रकार अगरबत्ती की तथाकथित सुगन्ध neurotoxic एवम hepatotoxic को भी स्वांस के साथ शरीर मे पहुंचाती है। इसकी लेशमात्र उपस्थिति कैंसर अथवा मष्तिष्क आघात ( brain damage) का कारण बन सकती है। hepatotoxic की थोड़ी सी मात्रा भी Liver को damage करने के लिए पर्याप्त है।
अगरबत्ती के जलने से उतपन्न हुई सुगन्ध के प्रसार के लिए Phthalates नाम के विशिष्ट chemical का प्रयोग किया जाता है। यह एक phthalate acid ester (फेथलिक एसिड ईस्टर) होता है जो कि श्वांस के साथ शरीर में प्रवेश करता है,इस प्रकार अगरबत्ती की तथाकथित सुगन्ध neurotoxic एवम hepatotoxic को भी स्वांस के साथ शरीर मे पहुंचाती है। इसकी लेशमात्र उपस्थिति कैंसर अथवा मष्तिष्क आघात ( brain damage) का कारण बन सकती है। hepatotoxic की थोड़ी सी मात्रा भी Liver को damage करने के लिए पर्याप्त है।शास्त्रों में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नही मिलता, हर स्थान पर धूप, दीप, नैवेद्य का ही वर्णन है। 

अगरबत्ती का प्रयोग भारतवर्ष में इस्लाम के आगमन के साथ ही शुरू हुआ है।
मुस्लिम लोग अगरबत्ती मज़ारों में जलाते है, हम हमेशा अंधानुकरण ही करते है,जब कि हमारे धर्म की हर एक बातें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मानवमात्र के कल्याण के लिए ही बनी है। कृपा करके उनका ही अनुसरण करें 🙏🏻🚩सटीक विवरण।👍
हमें धूप और घी के दीपक का प्रयोग करना चाहिए । अगरबत्ती स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है और बांस की बनी हुईं स्टिक को जलाना हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है ॥